Sunday, December 26, 2021

Takrarishta | तक्रारिष्ट - जानिए क्या हैं इसके फ़ायदे?

 

takrarishta benefits in hindi

आज की जानकारी है आयुर्वेदिक औषधि तक्रारिष्ट के बारे में. यह पेट की बीमारियों में प्रयोग की जाती है. आईये जानते हैं कि तक्रारिष्ट क्या है? इसके घटक, निर्माण विधि और गुण-धर्म के  बारे में विस्तार से - 

तक्रारिष्ट

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक तक्र या छाछ है जिसे अंग्रेज़ी में बटर मिल्क के नाम से  जाना जाता है. 

आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली में इसका वर्णन मिलता है.

तक्रारिष्ट के घटक या कम्पोजीशन 

भैषज्य रत्नावली के अनुसार इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है 

देशी गाय के दूध से बना हुआ तक्र या छाछ 3 लीटर, अजवायन, आँवला, हर्रे और काली मिर्च प्रत्येक 150 ग्राम और पंच नमक 250 ग्राम 

तक्रारिष्ट निर्माण विधि 

सभी चीज़ को मिक्स कर मिट्टी के घड़े में कपड़े से मुँह बंद कर 21 दिनों तक धुप में रखने के बाद छानकर काँच की बोतल में रख लिया जाता है. इसे ही तक्रारिष्ट और तक्रासव भी कहते हैं. 

तक्रारिष्ट के गुण 

यह भूख बढ़ाने वाला, पाचक, आम-पाचक, ग्राही या मल बाँधने वाला और कफ़ वात नाशक है

तक्रारिष्ट के फ़ायदे 

दस्त, डायरिया, ग्रहणी, IBS, अर्श या बवासीर जैसे रोगों में बेहद असरदार है.

अपच, भूख नहीं लगना, अफारा, पेट का भारीपन, आँतों की कमज़ोरी जैसे समस्त उदर रोगों में लाभकारी है. 

तक्रारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि 

10 से 20 ml तक रोज़ दो से तीन बार तक बराबर मात्रा में पानी मिलाकर स्थानीय वैद्य जी के निर्देशानुसार 

छोटे बच्चों को इसे न दें और प्रेगनेंसी में इसका सेवन नहीं करना चाहिए. अधीक मात्रा में भी सेवन न करें.


तक्रारिष्ट Buy Online





Sunday, December 19, 2021

Rudraksha Medicinal Usage | रुद्राक्ष औषधि भी है?

rudraksh benefits


आज की जानकारी है रुद्राक्ष के औषधीय प्रयोग के बारे में. रुद्राक्ष धारण किये हुए या इसकी माला पहने लोगों को देखा होगा. परन्तु क्या आप जानते हैं कि यह एक औषधि भी है? क्या आप जानते हैं कि इसके सेवन से  कौन-कौन से रोगों से मुक्ति मिलती है? आईये सबकुछ विस्तार से जानते हैं - 

रुद्राक्ष 

इसका संधि विच्छेद करने पर दो शब्द मिलते हैं - 

रूद्र = शिव या शंकर जी और अक्ष = आँख 

कहा जाता है कि भोले शंकर जी ने हज़ारों वर्षों की तपस्या के बाद जब आँख खोली तो स्नेहवश नेत्र जल की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी जिस से वृक्ष उगा उसे ही आगे चलकर रुद्राक्ष के नाम से जाना गया.  

रुद्राक्ष का पेड़ हमारे देश भारत के कुछ राज्यों में पाया जाता है, भारत के अलावा यह नेपाल और इंडोनेशिया जैसे देशों में भी मिलता है. 

इसके फल के अन्दर से निकलने वाली गुठली ही रुद्राक्ष है. इस गुठली में जितनी गहरी लाइनें होती हैं उसे ही इसके मुख के नाम से जाना जाता है. सामान्यतः रुद्राक्ष के पाँच मुख होते हैं, जिसे पंचमुखी रुद्राक्ष कहा जाता है. वैसे रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक हो सकता है. इसकी क़ीमत भी इसके मुख के अनुसार कम/अधीक होती है. इसकी गुठली में प्राकृतिक रूप से छेद होता है, जिस कारण इसकी माला बनायी जाती है. 

बाज़ार में नकली रुद्राक्ष की भरमार है. आज के समय में नकली रुद्राक्ष की पहचान करना मुश्किल है. कहा जाता है कि रुद्राक्ष का दाना फोड़ने पर वह जितने मुख वाला होगा वह उतने ही टुकड़े में बिखर जाता है. औषधीय प्रयोग के लिए ओरिजिनल रुद्राक्ष होना चाहिए, चाहे वह कितने भी मुख का हो कोई फ़र्क नहीं पड़ता. 

रुद्राक्ष के औषधीय गुण 

इसके गुणों की बात करें तो यह वात-नाशक, उष्ण यानि तासीर में गर्म, कफ निवारक, सर दर्द दूर करने वाला, भूतबाधा और गृहबाधा नाशक है.

मधुर, बुद्धिवर्धक, रक्तचाप नाशक, दाह, ज्वर, उन्माद, विस्फोट और चेचक के ज़ख्मों को दूर करता है. 

रुद्राक्ष के रोगानुसार प्रयोग 

अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि रुद्राक्ष सिर्फ़ माला पहनने की चीज़ नहीं है बल्कि इसका सेवन कर या खाकर भी कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं, तो आईये जानते हैं. 

दिमागी रोगों में 

ब्रेन या दिमाग के सभी रोगों में इसके सेवन से लाभ होता है. इसके लिए रुद्राक्ष के दाने को पानी के साथ पत्थर पर घिसकर तीन ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम ख़ाली पेट मिश्री मिलाकर चाटने से दिमाग को शान्ति मिलती है, गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, नीन्द नहीं आना और मिर्गी के दौरे में भी लाभ होता है. 

चेचक में 

चेचक भी यह बहुत असरदार है. इसे चन्दन की तरह घिसकर रोज़ तीन बार शहद के साथ चटाना चाहिए. चेचक के मौसम में दो दिन तक इसका यूज़ कर लिया जाये तो वैक्सीन की तरह चेचक से बचाव होता है. चेचक के ज़ख्म पर इसे घिसकर लगाने से जलन कम होती है और ज़ख्म दूर होता है. 

हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर में 

रुद्राक्ष का बारीक चूर्ण 20 ग्राम और सारस्वत चूर्ण 50 ग्राम मिलाकर रख लें. इस चूर्ण को पाँच-पाँच ग्राम सुबह-शाम ताज़ा पानी से लेने से हाई BP, नींद नहीं आना, ह्रदय रोग, घबराहट, तनाव और मानसिक दुर्बलता दूर होती है. 

लिवर की बीमारीओं में 

रुद्राक्ष का बारीक चूर्ण 3-3 ग्राम सुबह-शाम आरोग्यवर्धिनी वटी के साथ सेवन करने से लिवर बढ़ जाना, जौंडिस, कामला, लिवर की कमजोरी, खाना हज़म नहीं होना इत्यादि समस्त यकृत विकार दूर होते हैं. पित्ताशय कैंसर भी असरदार है. 

बुद्धि बढ़ाने और स्मरण शक्ति तेज़ करने के लिए 

 बुद्धि बढ़ाने और स्मरण शक्ति तेज़ करने का बहुत ही आसान सा गुप्त प्रयोग मैं बताने वाला हूँ सिर्फ मेम्बरशिप लेने वाले मेरे चैनल के दर्शकों के लिए.

अगर आपने मेरे चैनल की मेम्बरशिप नहीं ली है तो अभी ज्वाइन कीजिये इस गुप्त-सिद्ध प्रयोग को जानने के लिए 

रुद्राक्ष की माला पहनने से हृदय रोगों से बचाव होता है, इसके लिए मा ला ऐसी होनी चाहिए जिस से रुद्राक्ष हार्ट के एरिया को टच करता रहे. 

असली रुद्राक्ष ऑनलाइन ख़रीदें-

Buy Now

पंचमुखी रुद्राक्ष 

तो यह थी आज की जानकारी रुद्राक्ष के बारे में. क्या आपको यह जानकारी पहले पता थी? कमेंट कर ज़रूर बताएं.