Monday, October 31, 2022

अदरक के 10 ब्राह्य प्रयोग | Ten External Usage of Ginger

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अदरक को कौन नहीं जानता है? हर जगह किचन में इसका इस्तेमाल किया जाता है. क्यूंकि यह न सिर्फ खाने को मज़ेदार बनाता है बल्कि इसके औषधिय गुण भी होते हैं. 

आज मैं आपको अदरक के 10 ब्राह्य प्रयोग यानी एक्सटर्नल यूज़ के बारे में बताने वाला हूँ, तो आईये शुरू करते हैं - 

सुखा हुआ अदरक या सोंठ आयुर्वेद की अधिकतर दवाओं में मिलाई जाती है. पर आज हम यहाँ जानेंगे अदरक के सिर्फ़ बाहरी प्रयोग के बारे में - 

कान दर्द होने पर 

ज़्यादा देर तक ठण्डे पानी में नहाने या फिर ठण्ड की वजह से कान में दर्द होने लगे तो अदरक का रस चार-पाँच बूंद कान में डालना चाहिए. 

कील-मुहाँसे या पिम्पल्स होने पर 

सोने से पहले अदरक के रस को चेहरे पर लगा लें और सुबह उतार चेहरा धोकर नारियल तेल लगाने से किल-मुहाँसे और झायियाँ दूर होती हैं. 

दांत दर्द होने पर 

छिले हुए अदरक के टुकड़े को हल्का गर्म कर दाँतों के बीच दबाकर रखने या इसका रस मलने से दांत दर्द दूर होता है. 

सर दर्द होने पर 

अदरक के रस में दूध मिलाकर सूंघने से सर दर्द दूर होता है. 

चोट लगने पर 

एक गाँठ अदरक को कुचलकर कर हल्का गर्म कर चोट वाली जगह पर बांधना चाहिए. 

दस्त होने पर 

अदरक के रस में रुई भिगाकर नाभि पर रखने से अतिसार, दस्त या लूज़ मोशन में लाभ होता है. हर पंद्रह मिनट पर रुई बदलते रहना चाहिए. 

गठिया बाय के दर्द में 

अदरक के रस में पीसी अजवायन मिक्स कर मलने से दर्द में राहत मिलती है. अदरक के रस को हल्का गर्म कर मालिश करने से भी दर्द दूर होता है. 

शीतांग सन्निपात में 

सन्निपात में जब शरीर ठंढा पड़ जाये तो अदरक का रस और लहसुन का रस बराबर मात्रा में मिक्स कर शरीर पर मर्दन करना चाहिए. 

श्वसनक ज्वर या निमोनिया में 

अदरक के रस में घी मिक्स कर हल्का गर्म कर कपूर मिलाकर छाती पर मलना चाहिए. इस से बच्चों के निमोनिया में लाभ होता है. 

बिच्छू डंक पर 

अदरक और पान के पत्ते के रस को मिक्स कर पीड़ित स्थान पर लगाने से राहत मिलती है.



 


Thursday, October 13, 2022

अरहर के औषधीय प्रयोग | Medicinal Use of Pegeon Pea

arhar toor dal ke fayde

अरहर की दाल तो आप अक्सर खाते होंगे पर अरहर के औषधीय प्रयोग के बारे में अधीकतर लोग नहीं जानते हैं. यह सिर्फ दाल वगैरह बनाकर भोजन में प्रयोग करने वाली चीज़ नहीं है, बल्कि कुछ बीमारी भी दूर की जा सकती है, तो आईये अरहर के औषधीय प्रयोग के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं - 

अरहर के बारे में मुझे ज़्यादा परिचय देने की ज़रूरत नहीं है, प्रायः सभी इसे जानते हैं. इसे अरहर, तूर, तुवर इत्यादि नामों से जाना जाता है, अंग्रेजी में इसे पिजन पि कहा जाता है. 

अरहर के गुण 

अरहर जो है कषाय, मधुररस युक्त, शीतवीर्य, कफ़पित्त शामक, वातवर्द्धक, ग्राही और रक्त शोधक जैसे गुणों से भरपूर होती है. 

अरहर के औषधीय प्रयोग 

खुजली होने पर - अरहर की दाल को जलाकर कोयले की तरह होने पर दही में मिलाकर खाज वाली जगह पर लगाना चाहिए. इसके बारे में एक दोहा भी कहा गया है कि-

"अरहर दाल जलाय के दधि में देई मिलाय, पकी  खाज पर लेपिय देवे रोग मिटाय"

विषरोग में - अरहर की दाल को पानी के साथ पीसकर पिलाने से भांग का नशा दूर होता है. इसके पत्तों का रस भी पिने से विषरोग दूर होता है. 

नाड़ीव्रण या नासूर होने पर- इस की दाल को उबाल कर पानी निचोड़कर पीसकर टिकिया बनाकर नासूर पर बांधना चाहिए.  या फिर इसकी दाल को जलाकर राख बनाकर घी में मिलाकर लगाने से नासूर नष्ट होता है. 

हिक्का या हिचकी होने पर- इसके पत्तों को जलाकर धुंवा लेना चाहिए

रक्तपित्त में- इसके पत्तों का रस पीने से लाभ होता है. 

अतिसार या दस्त में - इसके हरे पत्तों का चूर्ण सेवन करना चाहिए. मवेशी को पतले दस्त होने पर अरहर की हरी पत्तियाँ खिलाई जाती हैं. 

रक्तप्रदर में - इसके पत्तों को पानी के साथ पीसकर छानकर पीने से रक्तप्रदर मिट जाता है. 

स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध की कमी होने पर पर इसकी दाल का सूप घी मिलाकर पीना चाहिए. 

और अंत में एक कमाल का नुस्खा 

अंजननामिका या गुहेरी होने पर - अरहर की दाल को साफ़ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से विशेष लाभ होता है. इसे रोज़ दो-तीन बार लगाना चाहिए. गुहेरी होने पर शुरू में लगाने से यह बैठा देती है और पकने की अवस्था में लगाने से तुरंत पाक कर फोड़ देती है. 

तो यह थी आज की जानकारी अरहर के औषधीय प्रयोग के बारे में.